भोपाल। राजधानी भोपाल और उसके आसपास का क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए प्राकृतिक वरदान साबित हो रहा है। हर साल सर्दियों के मौसम में हजारों प्रवासी पक्षी यहां आते हैं, जो इसे उनकी ब्रीडिंग और आरामगाह बना देता है। हालांकि, इस साल पक्षियों की संख्या में गिरावट देखी गई है, जिसका प्रमुख कारण पर्यावरणीय बदलाव और उनके मूल क्षेत्रों में अनुकूल माहौल हो सकता है।
प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति
यूरोप, अफ्रीका, रूस और साइबेरिया जैसे ठंडे क्षेत्रों से पक्षी भोपाल के बड़े तालाब, कोलार, शाहपुरा और अन्य जलाशयों में आते हैं।
दुर्लभ प्रजातियां:
साइबेरियन क्रेन (साइबेरिया से)
डेमोसिल क्रेन (अफ्रीका से)
व्लाइट टेल्ड ईगल (यूरोप और एशिया में पाया जाता है)
पक्षियों की संख्या में गिरावट:
2022: 53,323
2023: 30,320
2024: 35,599
इस गिरावट का मुख्य कारण उनके पारंपरिक क्षेत्रों में ब्रीडिंग के लिए अनुकूल माहौल और शहर में पर्यावरणीय दबाव बताया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में डेरा:
इस साल कई पक्षियों ने शहर की जगह आसपास के गांवों में ठिकाना बनाया।
वन विभाग की गणना के अनुसार, लगभग 200 प्रजातियों में से केवल 35 विदेशी प्रजातियों की पहचान की जा सकी।
वन विभाग और ईको-टूरिज्म की पहल:
भोपाल बर्ड संस्था और वन विभाग ने पक्षियों की गणना और उनके संरक्षण के लिए कदम उठाए हैं।
रामसर साइट्स जैसे बड़े तालाब और भोज वेटलैंड का हिस्सा हैं, जहां संरक्षण का काम जारी है।
संरक्षण की जरूरत
पक्षियों की घटती संख्या को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है:
प्राकृतिक आवास का संरक्षण
पानी के स्रोतों को स्वच्छ रखना
ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देना
ग्राम स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना
भोपाल और उसके आसपास का क्षेत्र केवल प्रवासी पक्षियों के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय जैव विविधता के लिए भी अहम है। इनके संरक्षण से न केवल पारिस्थितिकी को बल मिलेगा, बल्कि पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा।
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