भोपाल, न्यूज़ वर्ल्ड डेस्क। नगरी निकाय चुनाव में टिकट वितरण से उपजा असंतोष बगावत में तब्दील हो गया है। भाजपा व कांग्रेस के आला नेताओं की मान-मनौव्वल के बाद भी कुछ बागी नेता निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। कुछ ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है। अब ये दोनों दलों के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बन गए हैं। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के नेता डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। नेता लगातार प्रचार के दौरान अपने नाराज नेताओं से मिल रहे हैं, वहीं बागियों को भी साधने में जुटे हैं।
30 वार्डों में निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं गणित
कांग्रेस की तरफ से समन्वय की बागडोर खुद दिग्विजय सिंह ने संभाली है। वहीं नेताओं की समझाइश और फटकार के बाद भले ही अधिकांश बागियों ने अपने नामांकन वापस ले ली हो, लेकिन राजधानी भोपाल के करीब 30 वार्ड में निर्दलीय और बागी प्रत्याशी बीजेपी व कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ सकते हैं। बागियों को टिकट वापस करने में कांग्रेस की अपेक्षा बीजेपी ज्यादा सफल रही है।
किस विधानसभा में कितने बागी
बताया जा रहा है कि भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा से कुल 18 वार्डों में से 9 वार्ड में निर्दलीय और बागी प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ सकते हैं। गोविंदपुरा के वार्ड 77 में ही कांग्रेस के एक नेता ने मुंडन करा कर अपना विरोध जताया है। वहीं मध्य विधानसभा के करीब 13 वर्ड है, इनमें से 4 वार्डों में बागी और नाराज नेता पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के लिए परेशानी बन सकते हैं। दक्षिण पश्चिम विधानसभा में 12 वार्ड हैं इनमें से 3 वार्ड में निर्दलीय उम्मीदवार अपनी सक्रियता से बीजेपी कांग्रेस उम्मीदवार पर भारी पड़ रहे हैं। हुजूर विधानसभा में 12 वर्ड में से 5 वार्ड में बीजेपी कांग्रेस के नाराज और निर्दलीय उम्मीदवार हार जीत का गणित बिगाड़ सकते हैं।
वार्ड 22 से हुई खिलाफत की शुरुआत
खिलाफत की शुरुआत वार्ड 22 से कांग्रेस की पार्षद रही रईसा मलिक ने की थी। वो महापौर के लिए टिकट मांग रही थी। विभा पटेल को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद उन्हें कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली। नामांकन भी भर दिया, लेकिन पार्टी का बी फॉर्म नहीं मिल पाया। इसके बाद टिकट कटने से नाराज और भी नेताओं ने हाथ का साथ छोड़ दिया। खासतौर से उत्तर विधानसभा के बड़े नेताओं शाहिद अली, अब्दुल शफीक, नजमा अंसारी ने सामूहिक इस्तीफा कांग्रेस जिला अध्यक्ष कैलाश मिश्रा को सौंप दिया। यह सभी पार्षद रह चुके है। शाहिद अली ने पत्नी शबाना के साथ आप की सदस्यता ले ली। उन्होंने पत्नी को वार्ड 9 से चुनाव भी मैदान में उतारा है। प्रचार में हाउस टैक्स, पानी बिल माफ करने की बात कह रहे हैं। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी नाहिद जहां की राह आसान नहीं होगी।
कोलार में भी कांग्रेस के असंतुष्ट से खतरा
कोलार में भी कांग्रेस सभी असंतुष्ट नेताओं को मनाने में नाकाम रही पार्टी ने वार्ड 80 से पहले अन्नू बिट्टू शर्मा को उम्मीदवार बनाया था। वो नगर पालिका में पार्षद रह चुकी है। पार्टी ने ऐन मौके पर उनका टिकट काट दिया। अब उनके पति के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर प्रचार शुरू कर दिया है। वो कांग्रेस उम्मीदवार श्वेता सुखलाल ठाकुर को चुनौती दे रही है। इसी तरह वार्ड 83 से पार्टी के प्रशांत चौहान ने खिलाफत कर दी है। वह टिकट ना मिलने पर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। कांग्रेस उम्मीदवार मंगल सिंह यादव के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं।
वार्ड 45 में त्रिकोणीय मुकाबला
वार्ड 45 से इस बार मुकाबला रोचक हो गया है। पिछली बार यहां से मोनू गोहल निर्दलीय चुनाव जीते थे, फिर लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। ये वार्ड महिला के लिए आरक्षित होने के कारण वह पत्नी के लिए टिकट मांग रहे थे। उनकी जगह इसी क्षेत्र से सुनील सूद के महापौर काल में पार्षद रह चुकी वंदना सुधीर जाचक को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, ऐसे में मोनू ने पत्नी को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतार दिया है। वहीं कांग्रेस ने प्रीति वर्मा को उम्मीदवार बनाया है, ऐसे में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है।
कृष्णा गौर के कई पसंदीदा चेहरों को नहीं मिला मौका
गिविंदपुरा विधानसभा के 18 वार्ड में भाजपा के पुराने पार्षदों व कई नामी चेहरे को टिकट ना मिलने से नाराजगी है। सूत्रों के मुताबिक विधायक कृष्णा गौर के कई पसंदीदा चेहरों को इस बार टिकट नहीं दिया गया है, जिससे बीजेपी कार्यकर्ता और दावेदारों की नाराजगी प्रत्याशी को झेलनी पड़ रही और टिकट के दावेदारों ने अपने आप को चुनाव से हटा लिया है। वो घर बैठ गए हैं।
इन बागियों ने बढ़ाई मुसीबतें
- अरेरा कॉलोनी वार्ड 45 मैं मुकाबला रोचक हो गया है। यहां से पूर्व पार्षद मोनू गोहिल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमा रहे हैं। वो पहले भी निर्दलीय विजई हो चुके हैं। इनके मैदान में होने से भाजपा प्रत्याशी का समीकरण गड़बड़ा रहा है।
- वार्ड 66 से चंद्रभान तिवारी ने बीजेपी से टिकट मांगा था। टिकट ना मिलने से बीजेपी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
- वार्ड 25 से संजय यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इनके कारण भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
- पुराने शहर के वार्ड 18 में विनोद कुमार चौरसिया चुनाव मैदान में है। इन्होंने भाजपा से दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला अब निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं।
- जहांगीराबाद वार्ड 34 में पूर्व पार्षद पप्पू विलास चुनाव मैदान में है। इन्होंने भाजपा से दावेदारी की थी। इनका टिकट भी लगभग फाइनल हो गया था, लेकिन ऐन वक्त पर कट गया।
- तुलसी नगर वार्ड 31 से शैलेश सेन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इनके कारण वार्ड में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है, खासकर कांग्रेस की मुसीबत बढ़ गई है।
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