भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पार्वती-कालीसिंध-चंबल (PKC) नदी लिंकिंग परियोजना की शुरुआत होने जा रही है। इस परियोजना से मध्यप्रदेश और राजस्थान में पानी की समस्या का समाधान होगा। आज 17 दिसंबर को जयपुर में मध्य प्रदेश, राजस्थान और केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के बीच त्रिस्तरीय एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
इस विशाल परियोजना को केंद्र सरकार के सहयोग से पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। परियोजना की कुल लागत का 90% हिस्सा केंद्र सरकार और 10% हिस्सा मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारें साझा करेंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह परियोजना किसानों और नागरिकों के लिए वरदान साबित होगी। किसानों को पर्याप्त सिंचाई का पानी मिलेगा, जिससे कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, औद्योगिक क्षेत्रों को भी पानी की आपूर्ति की जाएगी। परियोजना से दोनों राज्यों के बीच सहयोग बढ़ेगा और जल संकट के स्थायी समाधान की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगी।
उधर, पीएम मोदी 25 दिसंबर को छतरपुर में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की नींव रखेंगे। परियोजना के तहत दौधन गांव में बांध बनेंगे। इससे जल को 221 किमी लंबी लिंक कैनाल के जरिए सिंचाई का पानी मिलेगा।
पार्वती-कालीसिंध-चंबल (PKC) नदी लिंकिंग परियोजना से मध्य प्रदेश के 11 जिलों में 6 लाख 13 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव होगी। राजस्थान में भी सिंचाई और पेयजल के लिए इस परियोजना से मदद मिलेगी। किसानों को बेहतर जल आपूर्ति मिलने से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा। 72 हजार करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना का मकसद सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक जल आपूर्ति को सुनिश्चित करना है।
21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे
परियोजना के तहत कुल 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे। इनमें श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्प्लेक्स में 4 बड़े बांध और 2 बैराज, कुम्भराज कॉम्प्लेक्स में 2 बांध और रणजीत सागर क्षेत्र में 7 बांध शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदियों पर छोटे बांधों का निर्माण भी होगा। इन संरचनाओं की कुल जल भंडारण क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। 172 मिलियन घन मीटर पानी पीने और औद्योगिक जरूरतों के लिए रिजर्व रखा जाएगा।
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