अश्विनी गुरुजी के अनुसार, पुराणों में वर्णित कथाएं केवल कहानियां नहीं बल्कि गूढ़ ज्ञान और रहस्यपूर्ण शक्तियों का स्रोत हैं। इन्हें समझने और आत्मसात करने के लिए गहन साधना और योगाभ्यास आवश्यक है। अष्टांग योग का नियमित अभ्यास मनुष्य को प्रह्लाद जैसा दिव्य बना सकता है—वही प्रह्लाद, जिसे हिरण्यकश्यप ने होलिका दहन में जलाने की कोशिश की थी, लेकिन जो अग्नि में भी सुरक्षित रहा।
शुद्ध तत्व = शुद्ध विचार = उच्च चेतना
सृष्टि पांच तत्वों से बनी है और शरीर में इन्हीं तत्वों की शुद्धता या अशुद्धता व्यक्ति के विचार और चेतना को निर्धारित करती है।
✔ शुद्ध तत्वों से व्यक्ति के विचार उच्चकोटि के और परमार्थ से युक्त होते हैं।
✔ अशुद्ध तत्वों से स्वार्थ, भौतिकता और नकारात्मकता जन्म लेती है।
अष्टांग योग और साधना के माध्यम से तत्वों की शुद्धता को प्राप्त किया जा सकता है।
अग्नि – शुद्धि का सर्वोच्च तत्व
ऋग्वेद का पहला शब्द ही ‘अग्नि’ है, क्योंकि यह एकमात्र तत्व है, जिसे दूषित नहीं किया जा सकता। गुरुत्वाकर्षण के विपरीत उठने वाली यह शक्ति मनुष्य को आत्मिक उन्नति और शुद्धि प्रदान करती है।
✔ होली का अग्नि स्नान आध्यात्मिक शुद्धि का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
✔ शुद्ध आत्मा और शरीर को अग्नि प्रभावित नहीं कर सकती, ठीक वैसे ही जैसे प्रह्लाद को अग्नि ने नहीं जलाया।
भोग और रोग – एक ही सिक्के के दो पहलू
✔ भोग की लिप्सा, रोग की ओर ले जाती है।
✔ एक शुद्ध शरीर और मन, उच्च लोकों की यात्रा के योग्य होता है।
✔ सनातन क्रिया के अनुसार, होली के दिन विशेष शुद्धिकरण प्रक्रियाएं की जाती हैं, जिससे आत्मिक उन्नति होती है।
अश्विनी गुरुजी से जानें होली के दिव्य रहस्य
अश्विनी गुरुजी, ध्यान आश्रम के मार्गदर्शक हैं और 13 मार्च, दोपहर 12:30 बजे होली और मंत्रों की गूढ़ व्याख्या करेंगे। उनसे संपर्क के लिए www.dhyanfoundation.com पर जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
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