भोपाल। मध्यप्रदेश में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड बायो-सीएनजी प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सतना और बालाघाट में दिसंबर 2025 तक इन संयंत्रों के शुरू होने की संभावना है। राज्य सरकार की बायो फ्यूल पॉलिसी-2025 को हाल ही में मंजूरी मिलने के बाद, परियोजना की रफ्तार और तेज हो गई है। सरकार ने बायो-फ्यूल यूनिट लगाने पर कई तरह की छूट देने का ऐलान किया है, जिससे निवेशकों में उत्साह देखा जा रहा है।
मुकेश अंबानी की बड़ी योजना: 100 सीबीजी प्लांट्स में 10 मध्यप्रदेश में
अगस्त 2024 में आयोजित रिलायंस की एनुअल मीटिंग में मुकेश अंबानी ने देशभर में 100 बायो-सीएनजी (सीबीजी) प्लांट लगाने की घोषणा की थी। इनमें से 10 प्लांट मध्यप्रदेश में स्थापित किए जाएंगे। इन संयंत्रों के लगने से न केवल ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
कैसे बनती है बायो-सीएनजी? जानिए प्रक्रिया
➡️ कच्चा माल: फसलों का कचरा, गोबर, सीवेज और फूड वेस्ट का उपयोग होता है।
➡️ प्रोसेसिंग: एक विशेष टैंक में, जहां ऑक्सीजन की मौजूदगी नहीं होती, कचरे को प्रोसेस किया जाता है।
➡️ बायोगैस का निर्माण: इसमें लगभग 50-60% मीथेन, 30-40% कार्बन डाइऑक्साइड और कुछ अशुद्धियां होती हैं।
➡️ शुद्धिकरण: कार्बन डाइऑक्साइड, पानी और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी अशुद्धियां हटाई जाती हैं, जिससे गैस में लगभग 95% मीथेन शुद्ध हो जाती है।
➡️ सीएनजी में बदलना: शुद्ध गैस को उच्च दबाव में कंप्रेस कर सिलेंडरों में भरा जाता है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान: सतत विकास को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, "बायो फ्यूल योजना-2025, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 'लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट' (LiFE) अभियान के मूल सिद्धांतों के अनुरूप है। यह योजना सतत विकास को प्राथमिकता देती है और जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन पर जोर देती है।" उन्होंने आगे कहा कि बायो-सीएनजी परियोजना से कृषि अपशिष्ट का सही उपयोग होगा और स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी संभव होगा।
बायो-सीएनजी परियोजना: आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ
➡️ रोजगार सृजन: पांच शहरों में संयंत्र निर्माण और संचालन से स्थानीय युवाओं को नौकरी के अवसर मिलेंगे।
➡️ किसानों को फायदा: फसल अवशेष बेचकर अतिरिक्त आय का जरिया बनेगा।
➡️ पर्यावरण संरक्षण: बायो-सीएनजी के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे वायु प्रदूषण कम होगा।
ग्रीन एनर्जी की ओर मध्यप्रदेश का कदम, बनेगा आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा
मध्यप्रदेश में बायो-सीएनजी प्लांट की स्थापना न केवल स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देगी, बल्कि राज्य को ग्रीन एनर्जी हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
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