भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चल रही रस्साकशी और संभावित नियुक्ति को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इस पद का राजनीतिक इतिहास और क्षेत्रीय समीकरण इसे और दिलचस्प बना रहे हैं।
इतिहास और क्षेत्रीय संतुलन
-
मालवा क्षेत्र का दबदबा:
-
1980 के बाद से अब तक छह बार मालवा क्षेत्र के नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला।
-
प्रमुख नाम: सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी, विक्रम वर्मा।
-
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र:
-
इस क्षेत्र से चार बार प्रदेश अध्यक्ष बने।
-
नरेंद्र सिंह तोमर दो बार इस पद पर रहे।
-
महाकौशल और मध्य क्षेत्र:
-
महाकौशल से दो बार और मध्य क्षेत्र से शिवराज सिंह चौहान ने इस पद को संभाला।
- बुंदेलखंड और विंध्य:
- इन क्षेत्रों के नेताओं को अब तक प्रदेश अध्यक्ष बनने का मौका नहीं मिला।
-
हर बार इन क्षेत्रों के नेता इस सवाल को उठाते हैं कि "हमारा नंबर कब आएगा?"
अविभाजित मध्य प्रदेश का दौर
- छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं को भी यह मौका मिला:
-
लक्खीराम अग्रवाल (1990-1994)
-
नंदकुमार राय (1997-2000)
-
वीडी शर्मा का रिकॉर्ड:
-
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा लगातार 58 महीने से इस पद पर हैं।
-
इससे पहले सुंदरलाल पटवा ने 50 महीने (12 जनवरी 1986 से 8 मार्च 1990) तक अध्यक्ष पद संभाला था।
नए अध्यक्ष की रेस:
-
पार्टी के भीतर क्षेत्रीय संतुलन और आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए गहन विचार-विमर्श हो रहा है।
-
भोपाल से लेकर दिल्ली तक बैठकें हो रही हैं और विभिन्न नेताओं के नाम पर चर्चा जारी है।
इस बार विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्रों के नेताओं की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। पार्टी का उद्देश्य क्षेत्रीय संतुलन बनाना और आगामी चुनावों में अधिकतम जनसमर्थन सुनिश्चित करना है। हालांकि, अंततः फैसला संगठन के दीर्घकालिक हित और राजनीतिक समीकरणों के आधार पर होगा।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ न केवल पार्टी के अंदरूनी समीकरण बल्कि राज्य की राजनीति पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी। अब यह देखना होगा कि कौन-सी रणनीति और क्षेत्रीय समीकरण निर्णायक साबित होते हैं।
Comments
Add Comment