भोपाल। टाइगर, चीता और तेंदुआ स्टेट के रूप में पहचान बना चुके मध्यप्रदेश में अब गिद्धों की बढ़ती संख्या ने वन्यजीव संरक्षण की एक नई सफलता कहानी लिखी है। हाल ही में हुई तीन दिवसीय गणना में प्रदेश में 12,981 गिद्धों की मौजूदगी दर्ज की गई है। यह संख्या बीते 10 सालों में दोगुनी हो चुकी है।
तीन दिन चली गणना, 16 सर्कल और 64 डिवीजनों में हुई कड़ी निगरानी
17, 18 और 19 फरवरी को मध्यप्रदेश वन विभाग ने 16 सर्कल, 64 डिवीजन और 9 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की गणना की। गणना में पाया गया कि प्रदेश में गिद्धों की 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 4 प्रजातियां स्थानीय और 3 प्रवासी हैं। भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में सफेद पीठ वाले गिद्ध भी देखे गए हैं, जो इस गिनती का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
कैसे हुई गिनती? ये खास बातें रखी गईं ध्यान में
➡️ गिद्धों की गणना में केवल आवास स्थलों पर बैठे हुए गिद्धों को ही गिना गया।
➡️ घोंसलों के आसपास बैठे गिद्धों और उनके नवजातों की भी अलग से गणना की गई।
➡️ डेटा संकलन का पूरा काम भोपाल के वन विहार में संपन्न हुआ।
➡️ गिनती के लिए सुबह 7 से 8 बजे का समय चुना गया, वहीं ऊंची चट्टानों वाले इलाकों में 9 बजे तक गिनती की गई।
गिद्धों की बढ़ती संख्या: एक नजर अतीत पर
मध्यप्रदेश में गिद्धों की गणना की शुरुआत वर्ष 2016 से हुई थी। बीते वर्षों में गिद्धों की संख्या में लगातार इजाफा देखा गया है:
➡️ 2019: 8,397 गिद्ध
➡️ 2021: 9,446 गिद्ध
➡️ 2024: 10,845 गिद्ध
➡️ 2025: 12,981 गिद्ध
यह वृद्धि वन विभाग और संरक्षण प्रयासों की एक बड़ी उपलब्धि है।
साल में अब दो बार होगी गिनती, ग्रीष्मकाल में भी होगा सर्वेक्षण
अब वन विभाग ने गिद्धों की गणना को और व्यवस्थित बनाने का निर्णय लिया है।
शीतकालीन गणना: 17, 18, 19 फरवरी को सम्पन्न हो चुकी है।
ग्रीष्मकालीन गणना: आगामी 29 अप्रैल को की जाएगी।
इससे गिद्धों की सही संख्या, उनकी प्रजातियों का विवरण और प्रवासी गिद्धों के आगमन-प्रस्थान के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी।
गिद्ध संरक्षण में मध्यप्रदेश की बड़ी छलांग
मध्यप्रदेश का वन विभाग अब गिद्ध संरक्षण को लेकर नए कदम उठाने की योजना बना रहा है।
✔️ गिद्धों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित किया जाएगा।
✔️ वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम गिद्धों के प्रजनन और भोजन की उपलब्धता पर नजर रखेगी।
✔️ स्थानीय ग्राम पंचायतों और स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे, ताकि लोगों को गिद्धों के पर्यावरणीय महत्व के बारे में बताया जा सके।
क्यों जरूरी है गिद्धों का संरक्षण?
गिद्ध प्राकृतिक सफाईकर्मी माने जाते हैं। वे मृत जानवरों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं और बीमारियों के फैलाव को रोकने में मदद करते हैं। मध्यप्रदेश में गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी से न केवल पारिस्थितिकी संतुलन में सुधार होगा, बल्कि यह राज्य को वन्यजीव पर्यटन के क्षेत्र में भी नई पहचान दिला सकता है।
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