नई दिल्ली। “ये लड़ाई किसी मजहब की नहीं, बल्कि इंसानियत के दुश्मनों से है।” जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के यह शब्द सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक चेतावनी हैं— उन दरिंदों के लिए जिन्होंने कश्मीर घाटी को हिंसा से लहूलुहान कर दिया। उन्होंने साफ कहा— अब वक्त आ गया है कि धर्म की रक्षा के लिए अधर्म का संहार हो, जैसे श्रीराम ने रावण का अंत किया था।
RSS प्रमुख का बयान: "यह लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच है"
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई दो धर्मों की नहीं, बल्कि धर्म और अधर्म के बीच की है। उन्होंने साफ किया कि भारतीय संस्कृति कभी भी निर्दोषों पर वार नहीं करती, जबकि आतंकियों ने निर्दोष हिंदू पर्यटकों को उनका धर्म पूछकर मौत के घाट उतारा।
"हमारे सैनिक धर्म नहीं, इंसानियत देखते हैं"
भागवत ने कहा कि भारत के सैनिक किसी को मारने से पहले उसका धर्म नहीं पूछते। लेकिन आतंकवादियों ने इस हमले में पीड़ितों से उनका धर्म जानने के लिए ‘अजान’ पढ़ने को कहा। हिंदू पहचान सामने आने पर उन्हें गोली मारी गई। यह एक बर्बरता है, जो अब बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
“रावण की तरह इन असुरों का भी अंत जरूरी है”
मोहन भागवत ने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब कोई अपने गलत रास्ते से नहीं लौटता, तब उसका नाश ही एकमात्र उपाय होता है। उन्होंने कहा, “रावण शिवभक्त था, वेद जानता था, लेकिन उसकी बुद्धि राक्षसी थी। ऐसे असुरों का अंत राम ने किया और आज भी यही समय की मांग है।”
26 लोगों की मौत, 6 महाराष्ट्र से
आपको बता दें कि मंगलवार को पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। मृतकों में 6 लोग महाराष्ट्र से थे। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की शाखा ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ ने ली है। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और हिंदू होने की पुष्टि पर गोली मार दी।
सरकार और सेना पर अब देश की निगाहें
हमले के बाद देशभर में आक्रोश है। सोशल मीडिया पर 'Justice for Pahalgam Victims' ट्रेंड कर रहा है। जनता आतंकियों के खिलाफ कड़ा एक्शन चाहती है। भागवत के तीखे बयान ने सरकार और सेना के अगले कदमों को लेकर उत्सुकता बढ़ा दी है।
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